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नवरात्रि के दूसरे दिन क्यों की जाती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, पढ़िए संपूर्ण व्रत कथा

कौन हैं माँ ब्रह्मचारिणी?

नाम से ही स्पष्ट है, “ब्रह्म” का अर्थ है तपस्या और “चारिणी” का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, माँ ब्रह्मचारिणी का मतलब है “तपस्या का आचरण करने वाली देवी”।

वे शांत और सौम्य दिखती हैं। उनके दाहिने हाथ में जप की माला होती है। उनके बाएं हाथ में कमंडल होता है। ये दोनों चीजें उनकी तपस्वी छवि को दर्शाती हैं।


क्यों करते हैं पूजा?

नवरात्रि का हर दिन खास होता है। पहले दिन की देवी शैलपुत्री प्रकृति को दर्शाती हैं। दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। यह हमें सिखाती है कि लक्ष्य पाने के लिए तपस्या जरूरी है।

उनकी पूजा से मन में धैर्य आता है। संयम और एकाग्रता बढ़ती है। इसलिए, यह दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वे जीवन में शांति और उन्नति चाहते हैं।


पौराणिक कथा

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा हमें प्रेरणा देती है। वे अपने पिछले जन्म में राजा हिमालय की पुत्री पार्वती थीं। पार्वती ने बचपन से ही शिव को पति रूप में पाने की ठान ली थी। पर यह आसान नहीं था। शिव अपनी तपस्या में लीन थे।

पार्वती ने कठोर तपस्या करने का फैसला किया। उन्होंने सालों तक सिर्फ फल और फूल खाए। फिर, उन्होंने केवल शाक खाकर तप किया। इसके बाद, उन्होंने पत्ते भी खाना छोड़ दिया। इस वजह से उनका नाम अपर्णा पड़ा।

उनकी तपस्या से सभी देवता हैरान थे। अंत में, भगवान ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया। उन्होंने कहा कि उनकी मनोकामना पूरी होगी। इसके बाद ही उन्होंने तपस्या समाप्त की।

उनकी इस तपस्या के कारण ही वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं। अंत में, शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए। उन्होंने पार्वती से विवाह किया। यह कहानी बताती है कि सच्चा संकल्प कभी विफल नहीं होता।


पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि के दूसरे दिन, पूरी श्रद्धा से पूजा करें। सबसे पहले, देवी को स्नान कराएं। फिर, उन्हें वस्त्र और फूल चढ़ाएं।

माँ को चीनी और पंचामृत का भोग प्रिय है। पूजा के समय, उनके मंत्रों का जाप करें।

  • बीज मंत्र: ‘ह्रीं श्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः’
  • ध्यान मंत्र: ‘दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥’

क्या है इस दिन का महत्व?

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के कई लाभ हैं। इससे आत्म-विश्वास बढ़ता है। हमें अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ रहने की प्रेरणा मिलती है।

यह पूजा मन को शांत करती है। हमें हर चुनौती का सामना करने की शक्ति देती है।

यह दिन सिर्फ पूजा का नहीं है। यह अपने भीतर की शक्ति जगाने का दिन है। तो, आइए इस नवरात्रि, माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद लें।

जय माँ ब्रह्मचारिणी!

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